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भूपेंद्र के बिना प्रेम अधूरे….?

मया देदे मयारू 2 लेकर आ रही दोनों की हिट जोड़ी

सिनेमा 36. इन दिनोंं गरियाबंद में मया देदे मयारू 2 की शुटिंग चल रही है। निर्देशकद्वय हैं भूपेंद्र साहू और प्रेम चंद्राकर। इनके साथ सिनेमेटोग्राफर दिलीप राय भी हैं। लंबे समय बाद यह तिकड़ी कुछ करिश्मा करने की कोशिश में हैं। हालांकि पहले भी इस तिकड़ी को साबित किया है। बाद में ये तितर-बितर हो गए। इसके पीछे जो बातें सुनाई देती हैं वह यह कि नाम के के्रडिट को लेकर कुछ अनबन हो गई थी। किसी फिल्म या किसी मंचीय कार्यक्रम में लगे पोस्टर में नाम को लेकर कोई बात आई-गई थी। अगर हम भूपेंद्र साहू और प्रेम चंद्राकर की बात करें तो दोनों जब तक साथ रहे सफलता का परचम लहराते रहे। प्रेम चंद्राकर ने जितनी भी फिल्में भूपेंद्र साहू के बिना बनाई वह फ्लॉप ही रही, हालांकि मया देदे मयारू 1 चली लेकिन उतनी नहीं जितनी चल सकती थी। इंडस्ट्री ने मान लिया कि बिना भूपेंद्र साहू के प्रेम चंद्राकर अधूरे हैं। अब जब अलक राय ने मया देदे मयारू 2 की परिकल्पना की तो उन्होंने तय किया कि उस तिकड़ी को समोसे के आकार में एक करना होगा। इसलिए उन्होंने मया देदे मयारू 2 में तीनोंं को एक फ्रेम में लाया। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अगर भूपेंद्र साहू और प्रेम चंद्राकर को तौला जाए तो प्रेम 10 प्रतिशत तो भूपेंद्र 90 प्रतिशत हैं। हालांकि हम इस बात को नहीं मानते हैं। हम तो यही कहेंगे कि दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उम्मीद है कि दोनों की तन्मयता एक अच्छी फिल्म का निर्माण करेगी। वैसे इस फिल्म के फर्स्ट लुक में डायरेक्टर लिस्ट में दोनों का ही नाम अंकित है।

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