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‘महाराजा’ देखते वक्त कुर्सी पकडक़र बैठेेंगे आप, पहली फुर्सत में देख लीजिए

विजय सेथुपथी, अनुराग कश्यप समेत सभी कलाकारों की कमाल की एक्टिंग

रेटिंग 4.75/5

निथिलन सामीनाथन निर्देशित तमिल फिल्म महाराजा का हिंदी वर्जन 28 जून को रिलीज हुआ। रायपुर में सिर्फ एक मल्टीप्लैक्स (एफएनएक्स सिनेमा भनपुरी) में ही यह फिल्म लगी है। फिल्म सस्पेंस और एक्शन थ्रिलर है। जिसमें विजय सेथुपथी लीड रोल में हैं। फिल्म आपको हंसाती भी है, कहीं-कहीं आप भावुक भी हो जाएंगे। कहानी पर जाएं तो महाराजा को एक सैलून में काम करता है। एक रात उसके घर में तीन लोग हमला बोल देते हैं और कचरा पेटी को उठा ले जाते हैं। इस पेटी का नाम लक्ष्मी है। महाराजा का मानना है कि जब घर पर एक गाड़ी घुस गई थी तो इसी कचरे के डब्बे से उसकी बेटी की जान बची थी। तबसे बाप-बेटी इस पेटी को लक्ष्मी कहते हैं।

महाराजा चोरी की शिकायत लेकर जब थाने जाता है तो वह उपहास का कारण बनता है। लेकिन महाराजा को वह पेटी हर हाल में चाहिए होती है। इसके लिए वह पुलिसवालों को रिश्वत की पेशकश करता है। पुलिस मान जाती है। पेटी को तलाशना शुरू किया जाता है लेकिन नहीं खोज पाते। आखिर में तय होता है कि हूबहू एक नई पेटी बनाई जाए।

कचरे पेटी की तलाशी से लेकर उसके मिलने तक कई घुमाउदार मोड़ आते हैं लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है दर्शकों के मन में आगे क्या? का सवाल खड़ा होने लगता है। और यही इस फिल्म की सफलता का राज है। क्लाइमेक्स तो ऐसा है कि जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि महाराजा नई पेटी को स्वीकार करेगा या नहीं? उसके चोर पकड़े जाएंगे कि नहीं। लेकिन इतना तो तय है कि आप आखिरी तक कुर्सी में ही जमे रहेंगे। फिल्म में पुलिसवालों की अच्छी छवि भी दिखाई गई है। सौ बात की एक बात यह फिल्म न सिर्फ पैसा वसूल है बल्कि यादगार भी है। मेरी मानें तो पहली ही फुर्सत में देख लीजिए।

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