तहि मोर आशिकी अच्छी कहानी, लेकिन कसावट नहीं
फैमिली ड्रामा, इमोशन और फर्ज की दास्तां
रेटिंग 2.35/5
सिनेमा 36. लक्षित झांजी और एल्सा घोष स्टारर छत्तीसगढ़ी फिल्म तहि मोर आशिकी एक अच्छी कहानी है। दरअसल इसकी कहानी सुपरहिट पाकिस्तानी टीवी शो कैसी तेरी खुदगर्जी से ली गई है। इसे फिल्म के अंदाज में ढाला गया है। लेकिन कसावट के पैमाने में खरी नहीं उतर पाई। कहानी की बात करें तो ओम (लक्षित)बड़े बाप का बेटा है जो अपनी मर्जी का मालिक है। उसे खूशबू (एल्सा) से पहली नजर में ही प्यार हो जाता है। उससे शादी करने के लिए वह किसी भी हद से गुजर सकता है। ओम के पिता (रजनीश) कभी नहीं चाहते कि खुशबू उस घर की बहु बने लेकिन बेटे के आगे वे भी झुक जाते हैं लेकिन यह उनकी चाल होती है। दरअसल वे खुशबू को मरवाना चाहते हैं। कार हादसे में खूशबू को मरवा दिया जाता है लेकिन वह किसी तरह बच जाती है। क्या ओम खुशबू को ढूंढ पाता है, क्या दोनों की शादी हो पाती है? क्या ओम के पिता खुशबू को स्वीकार कर पाते हैं। यह जानने के लिए आपको थिएटर का रुख करना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ी में परम्परागत कहानियों से हटकर फिल्म आई है। इस बात की तारीफ तो बनती है। बड़े बाप के बेटे को बिगड़ैल दिखाया गया है लेकिन उसमें ऐसी कोई लत नहीं होती जिससे यह कहा जाए कि वह बिगड़ा हुआ है।
गीत-संगीत, संवाद, अभिनय
फिल्म का गीत-संगीत औसत है। एक-दो गाने अच्छे हैं। संवाद औसत हैं। अभिनय की बात करें तो लक्षित का नया रूप देखने को मिला है लेकिन कहीं-कहीं वे थोड़े कमजोर पड़े हैं, बावजूद उनके अभिनय को सराहा जा सकता है। इधर, एल्सा के हिस्से में ग्लैमर कम और डरना-सहमना ज्यादा आया है। एक्टिंग में एल्सा परफेक्ट रहीं हैं। रजनीश झांजी ने पिता दमदार अदाकारी निभाई है। अन्य कलाकारों में उपासना वैष्णव, जीत शर्मा, मनीषा वर्मा का अभिनय अच्छा है। एल्सा के पिता का रोल कर रहे कलाकार का अभिनय कमजोर है।
स्क्रीनप्ले/ निर्देशन/ बीजीएम/ कैमरा
कहानी के हिसाब से स्क्रीनप्ले में कसावट नहीं आ पाई। यही वजह है कि फिल्म स्लो लगती है। निर्देशन ठीकठाक है लेकिन इसमें और भी मजबूती की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसका उदारहण है- शुरुआती तौर पर जब दर्शक हीरो के इमोशन से कनेक्ट हो रहे होते हैं तभी अचानक गाना चल पड़ता है। बीजीएम और कैमरा अच्छा है, पर कुछ-कुछ सीन में बीजीएम छूटता सा लगा।