छोटी-सी बात पर भी बड़ी सावधानी रखते हैं सतीश जैन
16 मई को रिलीज हो रही है 'मोर छैयां भुईंया 3'

सिनेमा 36. छत्तीसगढ़ी सिनेमा के जाने-माने निर्माता-निर्देशक सतीश जैन की चर्चित फिल्म ‘मोर छैयां भुईंया 3’ अब रिलीज़ के बेहद करीब है। 16 मई को यह फिल्म प्रदेश के कई शहरों में एक साथ रिलीज होने जा रही है, और टॉकीज़ लिस्ट भी जारी हो चुकी है। इस बार भी दर्शक सिर्फ एक कहानी या कलाकारों को नहीं, बल्कि फिल्म मेकिंग की बारीकी में उतरने वाले निर्देशक की मेहनत को भी बड़े पर्दे पर देखेंगे।
फिल्म में बारीकी की मिसाल
फिल्म के एक सीन में नायक अखबार बांटते हुए नजर आता है। वह जब किसी पाठक से संवाद करता है और अखबारों के नाम गिनाता है, तो ये महज एक संवाद नहीं था। पोस्ट-प्रोडक्शन के दौरान निर्देशक सतीश जैन ने अपने प्रतिनिधियों को तीन अलग-अलग अखबारों के दफ्तर भेजा और बाकायदा संपादकों से इसकी अनुमति ली। यह इसलिए किया गया कि फिल्म में किसी भी नाम या दृश्य को लेकर भविष्य में कोई आपत्ति न उठे और सब कुछ वैधानिक और नैतिक दायरे में रहे। यह सिर्फ एक सीन की तैयारी नहीं, बल्कि फिल्म निर्माण के प्रति गंभीरता का उदाहरण है।
पत्रकारिता से निर्देशन तक का सफर
गौरतलब है कि सतीश जैन स्वयं फिल्म पत्रकार रह चुके हैं। उन्होंने मुंबई में रहते हुए टाइम्स ग्रुप की पॉपुलर मैगजीन माधुरी कई नामी सेलिब्रेटीज पर कवर स्टोरी भी की है। उन्हें इस बात की गहराई से समझ है कि मीडिया से जुड़ा कोई भी संदर्भ किस तरह संवेदनशील हो सकता है। शायद इसीलिए वे हर स्तर पर सत्यापन और सहमति के साथ ही आगे बढ़ते हैं।
सीखने लायक है ये प्रक्रिया
आज के युवा डायरेक्टर्स और क्रिएटिव पेशेवरों को यह समझना जरूरी है कि सिर्फ अच्छा कंटेंट बनाना ही काफी नहीं, बल्कि उसे जिम्मेदारी और संवेदनशीलता के साथ पेश करना भी उतना ही ज़रूरी है। ‘मोर छैयां भुईंया 3’ को लेकर जिस तरह की बारीकी अपनाई गई है, वह इसे एक मनोरंजक ही नहीं, बल्कि एक शिक्षाप्रद सिनेमाई अनुभव भी बनाता है।