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कोया को नहीं खोया, प्रोडक्शन हाउस में पिरोया

अमलेश की फिल्म का नाम 'दंडाकोटुम'

सिनेमा 36. अंतत: सारे कयासों को उस वक्त विराम लग गया जब अमलेश नागेश ने अपनी फिल्म का नाम एनाउंस किया। विश्व आदिवासी दिवस पर अमलेश नागेश ने न सिर्फ अपने प्रोडक्शन हाउस की लॉन्चिग की बल्कि फिल्म का नाम भी घोषित कर दिया। उनकी फिल्म का नाम है दंडाकोटुम। प्रोडक्शन हाउस है कोया। शनिवार को टिकरापारा स्थित गोंडवाना मैदान में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में दंडाकोटुम के प्रोड्यूसर रमेश श्याम सपत्निक शामिल हुए। अमलेश के माता-पिता और बेटा भी कार्यक्रम के साक्षी बने। खास बात यह रही कि दीक्षा जायसवाल भी अपनी मम्मी के साथ पहुंची। बताया गया कि वे भी फिल्म का हिस्सा हैं। फिल्म की एक और अभिनेत्री लावण्यादास मानिकपुरी भी आईं थीं। डीओपी रजत सिंह राजपूत भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान कई आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल भी मौजूद रहा।

अमलेश ने कहा, मैं चाहता था कि कोई ऐसी फिल्म बनाऊं जो सीधे छत्तीसगढ़ के गंभीर मुद्दे से जुड़ी हो। इसलिए मैंने दंडाकोटुम को चुना। इसका अर्थ है बस्तर का जंगल। उन्होंने कहा कि पुरखों की जमीन है लेकिन वे पलायन क्यों कर रहे हैं। इस मुद्दे को मैंने केंद्र बिंदु रखा है।

अमलेश ने कहा कि मैं कभी हीरो नहीं बनना चाहता था और मैं मानता हूं कि मैं हीरो जैसा दिखता भी नहीं और न ही मेरे पास टैलेंट है। इसलिए मैं गुंडा भी बन सकता हूं। उनकी इस बात से ऐसा लगा कि वे फिल्म में कोई निगेटिव किरदार निभा सकते हैं।

बता दें कि कोया की कल्पना मोहित साहू ने की थी लेकिन उन्होंने कोया का हीरो अनिल सिन्हा को घोषित कर दिया और यह भी कहा कि कोई प्रोड्यूसर इस नाम से फिल्म न बनाएं। इसलिए अमलेश ने मामले को तूल न देते हुए कोया का नाम दंडाकोटुम कर दिया।

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