दीपक अब कमाई पर ध्यान दे या हिट फ्लॉप के चक्कर में रहे
हिट फिल्मों का रेशियो इतना कम कि ज्यादा चूज़ी बनना नुकसानदायक
सिनेमा 36. मोर छैयां भुईयां 2 से स्टार बने दीपक साहू को फिल्में मिलना आसान हो गया है। उनकी एक्टिंग को काफी एप्रिशिएट किया जा रहा है। कुछ मेकर्स उनके कॉन्टेक्ट में हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि क्या उन्हें चूज़ी होना चाहिए। यानी देख समझकर फिल्में साइन करनी चाहिए? अगर इसका सैद्धांतिक जवाब देखा जाए तो उन्हें बहुत सोच समझ कर फिल्में साइन करनी चाहिए। लेकिन प्रैक्टिकल देखा जाए तो उन्हें अपनी छवि भुनानी होगी। इसके पीछे तगड़ा लॉजिक भी हम बता रहे हैं। वो यह कि हमारे यहां हिट फिल्मों का रेशियो बहुत कम है। कुछ फिल्में ही अच्छा बिजनेस कर पाती हैं। ऐसे में दीपक को बहुत ज्यादा सोचने के बजाय खुद को भुनाना चाहिए।
अब बात आती है मेहनताने की। अब ये उनका व्यक्तिगत मत है कि वे क्या लेते हैं। सतीश जैन ने क्या दिया क्या नहीं दिया यह सोचने की बजाय इस बात पर गौर करें कि उन्होंने जो एक्सपोजर दिया वो कितना महत्वपूर्ण है। वैसे देखा जाए तो कोई भी मेकर्स दीपक को हंसते हंसते पांच से छह लाख आसानी से दे सकता है।
सीजी सिने इंडस्ट्री में कलाकारों खासतौर पर लीड एक्टर को उस वक्त चूज़ी होना चाहिए जब साल में पांच से छह हिट फिल्में आ रही हों। जब फिल्में बने 15 से 20 और हिट एक या दो हो तो एक्टर किस किस फिल्म को छोड़ते रहे। इंडस्ट्री में फिलहाल कुछ ही एक्टर हैं जो मानदेय के मामले में एक बैंच मार्क तय किए हैं। ऐसे में दीपक को व्यावहारिक दिशा ( प्रैक्टिकल वे) पर ध्यान देना चाहिए।