Cinema36. मनोज राजपूत की बायोपिक ‘जीरो सहर मां हीरो’ 9 फरवरी को गांव के रुपहले परदे पर आ रही है। फिल्म को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है। इसमें सबसे इंपोर्टेंट बात है फिल्म के हीरो। जैसा कि सब जानते हैं कि मनोज राजपूत न सिर्फ फिल्म के हीरो हैं, बल्कि प्रोड्यूसर भी। फिल्म बनाने के फैसले के बाद निर्देशक उत्तम तिवारी ने उनकी वर्कशॉप ली ताकि वे अभिनय की गहराई में उतर सकें।
मनोज सुबह से ही उठकर वर्कशॉप में शामिल होते थे। उनका टाइम मैनेजमेंट गजब का माना जाता है, यही कारण है कि ऑफिस वर्क हो या बिजनेस मीटिंग। वे हर जगह प्रॉपर टाइम देते रहे। इस बीच वर्कशॉप भी अटेंड करते रहे।
कॉन्फिडेंट से बढ़कर कुछ नहीं
मनोज कहते हैं, मैंने जो भी हासिल किया है, उसमें आत्मविश्वास का अहम रोल है। मेरी डिक्शनरी ने इंपॉसिबल शब्द ही नहीं है। वैसे भी impossible में I am possible ही शामिल है। जरूरत इस बात की है कि आप का नजरिया कैसा है।
मेहनत के बिना कुछ नहीं मिलता
छोटे से गांव से निकलकर अगर मैं आज कुछ बन पाया हूं तो वो सब जी तोड़ मेहनत के चलते है। मुझे लगता है दुनिया में हर चीज की कीमत चुकानी पड़ती है। अभिनय का मुझसे दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था, लेकिन मैंने खूब मेहनत की और इस आर्ट को डेवलप किया।