गुईयां 2: बदले की कहानी, एक्शन की भरमार
अमलेश नागेश एक्टिंग में सुपर लेकिन निर्देशन में?

रेटिंग 2/5
सिनेमा 36. ‘गुईयां 2’ को देखकर यह साफ हो जाता है कि इसका ‘गुईयां 1’ से कोई ठोस कनेक्शन नहीं है। नाम भले ही जुड़ा हो, लेकिन कहानी पूरी तरह नई है। कहानी की बात करें तो यह एक गांव में फैल रही नशाखोरी के विरोध से शुरू होती है, जहां अमलेश (अमलेश नागेश) लगातार इसके खिलाफ आवाज उठाता है। वह विधायक (जीत शर्मा) से भी शिकायत करता है, लेकिन उल्टा उसे ही अपमानित किया जाता है। यह वीडियो वायरल हो जाता है और इसके बाद विधायक की खूब आलोचना होती है।
फिल्म का मुख्य ट्रैक देवा (दिलेश साहू) और उसके भाई रुद्रा (क्रांति दीक्षित) की मौत से जुड़ा है। रुद्रा की हत्या का बदला लेने के लिए देवा किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इसी बदले की योजना पर पूरी फिल्म आधारित है। अन्नी (अनिकृति चौहान) देवा की पुरानी प्रेमिका है, जो बाद में एक अहम मोड़ पर फिर से उसकी जिंदगी में लौटती है।
प्रकाश अवस्थी द्वारा निभाया गया किरदार ‘सदानंद’ कहानी में एक और मोड़ लाता है जब वह अपनी ही बहन अन्नी को अगवा करवा देता है।
अमलेश नागेश फिल्म में सीमित भूमिका में हैं। वह मुख्य किरदार नहीं बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखते हैं जो सिस्टम से लड़ते हुए खुद पीड़ित हो जाता है।
गीत-संगीत की बात करें तो गाने औसत हैं। काने के बाली म, मया..गीत ठीक-ठाक हैं, लेकिन कोई भी गीत लंबे समय तक याद रह जाने वाला नहीं लगता। अब चूंकि काने के बाली का ओल्ड वर्जन सुपरहिट था जिसका फायदा नए वर्जन को मिलना ही था।
तकनीकी पक्ष की बात करें तो निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी औसत दर्जे की है। स्क्रीनप्ले थोड़ा कमजोर है और कहीं-कहीं पर कहानी बहकती है। संवाद भी प्रभाव छोड़ने में असफल रहते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक कुछ दृश्यों में बेहतर हो सकता था।
देखें या नहीं?
अगर आप छत्तीसगढ़ी फिल्मों में एक्शन और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी कहानियों में रुचि रखते हैं, तो एक बार देख सकते हैं। फिल्म कुछ हिस्सों में पकड़ बनाती है, लेकिन पूरी तरह संतुष्ट नहीं करती।