“दूल्हा राजा” की बारात में सबकुछ मिलेगा
छत्तीसगढ़ के सारे रंग हुए हैं शामिल, पैसा वसूल है फिल्म
रेटिंग 3.5/5
Cinema 36. रीजनल फिल्मों में परिवार सबसे बड़ा केंद्र बिंदु रहा है। यही वजह है कि अब तक की बेहतरीन फिल्में फैमिली बेस्ड रही हैं और दर्शक भी परिवार समेत देखने पहुंचे हैं। विशुद्ध पारिवारिक फिल्मों की श्रेणी में दूल्हा राजा को भी गिना जा सकता है। जिसमें अच्छे गानों, कॉमेडी, इमोशंस और सामाजिक संदेश को खूबसूरती से पिरोने की कोशिश की गई है। यहां एक पिता के लिए उसके बेटे जमीन उगलने वाली मशीन हैं। जो कि दहेज की एवज में मिलती है। तीसरे बेटे की शादी भी वह इसी रणनीति से करता है कि दहेज में मोटी रकम हाथ लग जाए।
यह एक ऐसे युवा राजा ( राज वर्मा) की कहानी है जो स्कॉलरशिप के जरिए विदेश में जाता है। तीन साल जॉब के बाद गांव लौटता है क्योंकि उसे अपनी मिट्टी से प्यार है। गांव पहुंचते ही उसकी मुलाकात हैप्पी ( काजल सोनबेर) से होती है और पहली नजर में वह दिल दे बैठता है। हैप्पी उसी घर की बेटी है जिसका बाप अमीर दामाद की तलाश में है। राजा एक प्लानिंग के तहत उस परिवार का हिस्सा बन जाता है और उसकी शादी हैप्पी से हो जाती है। मध्यांतर तक एक ऐसा खुलासा होता है कि फिल्म अपने सही मकसद की ओर आगे बढ़ती है।
निर्देशन/ स्क्रीन प्ले/ संवाद
राज वर्मा ने एक साथ कई जिम्मेदारी संभाली है। निर्देशन और स्क्रीनप्ले के साथ ही अभिनय करते हुए मनोरंजक तरीके से पारिवारिक तानाबाना बुनने में सफल रहे। परिस्थितियों के हिसाब से संवाद भी अच्छे बन पड़े हैं।
गीत संगीत, बीजीएम, एडिटिंग, सिनेमेटोग्राफी
गानों का क्रम बढ़िया है। अच्छे संगीत में गानों को ठीक वैसे ही डेकोरेट किया गया है जैसे मिठाई में चांदी का अर्क। इसके लिए गीतकार, संगीतकार के साथ गायकों को जरूर सराहना मिलनी चाहिए। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है।सोमदत्त पंडा हमेशा कुछ नया देने में सफल रहते हैं। किसी भी फिल्म की एडिटिंग बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। कई बार फाइनल टेक की बजाय डमी टेक अच्छा बन पड़ता है इसलिए एडिटिंग में डायरेक्टर का बैठना जरूरी माना जाता है। एडिटिंग अच्छी है। सिनेमेटोग्राफी में तोरण राजपूत अपने आप में नाम है। नाम के मुताबिक काम भी है।
अभिनय
एक्टिंग के मामले में सभी ने अच्छा आउटपुट दिया है। खासतौर पर राज वर्मा। हालांकि बतौर लीड यह उनकी दूसरी फिल्म है लेकिन 12 साल बाद कैमरा फेस करना और बेहतर परफॉर्म करना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता। काजल की भी बतौर लीड एक्ट्रेस दूसरी फिल्म है। जिसमें वे खिली खिली नजर आईं। अन्य कलाकारों ने फिल्म को बांधे रखने में अपनी अच्छी मौजूदगी दिखाई। कॉमेडी में हेमलाल कौशल का नेचुरल परफार्मेंस रहा तो संजय महानंद व अन्य ने भी अच्छी अदायगी की। विलेन के तौर मनमोहन सिंह ठाकुर ने अच्छा कमबैक किया है
कमियां
कुछ टेक्निकल चीजें हैं जो कमियों की ओर इशारा करते हैं। कहीं कहीं मेकअप तो कहीं कॉस्ट्यूम में 19 साबित हुए हैं। वहीं, एक्ट्रेस का राजा के प्रति प्यार जागृत होने को और स्टेबल किया जा सकता था। एयरपोर्ट वाला सीन इंटरनेट से लिया गया लगता है। कई सीन में किरदार एक दूसरे से कनेक्ट नहीं हो पाते हैं। फिल्म में हिंदी फिल्म की कहानी का भी कॉन्स्टेप्ट दिखाई देता है।
क्यों देखें
आपको गांव मिट्टी से प्यार है, ठेठ छत्तीसगढ़ी पारिवारिक माहौल में रमना चाहते हैं, ठहाके लगाने हों और अच्छे गीत संगीत में डूबना हो तो यह फिल्म आपके लिए ही बनी है।