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इस छत्तीसगढ़ी फिल्म में पहली बार यूज हुआ था डिजिटल कैमरा

Created by Prakash Awasthi gajab din bhaige

Cinema 36. इन दिनों उत्तम तिवारी निर्देशित और मनोज राजपूत अभिनीत  सीजी मूवी ‘गांव के जीरो सहर मा हीरो’ की मेकिंग चर्चे में है। फिल्म 9 फरवरी को रिलीज होने जा रही है। बात चाहे रामोजी फिल्म सिटी में शूटिंग की हो या स्लो मोशन के लिए हाई स्पीड कैमरा फैंटम के यूज की। उत्तम तिवारी ने फिल्म को टेक्निकली स्ट्रॉन्ग बनाने में कोई कसर नहीं छेड़ी है। हाल ही में शूट हुई गंगासागर पंडा निर्देशित मूवी ‘जवानी जिंदाबाद’ में VENICE camera यूज किया गया है। इसी कैमरे से गदर 2 की शूटिंग भी हुई थी। भारती वर्मा ने भी डार्लिंग प्यार झुकता नहीं 2 में इस कैमरे का इस्तेमाल किया है। ऐसे में सीजी मूवी में डिजिटल कैमरा कब और कैसे आया। इस पर बात होनी चाहिए।

गजब दिन भईगे से हुई थी शुरुआत

अगर हम सीजी फिल्म इंडस्ट्री में डिजिटल युग की बात करें तो सबसे पहला नाम प्रकाश अवस्थी का आता है। उन्होंने गजब दिन भईगे डिजिटल कैमरे से बनाई थी। उसके बाद से तो डिजिटल कैमरे से शूटिंग का दौर ही निकल पड़ा। आइए जानते हैं डिजिटल युग की कहानी प्रोड्यूसर/ एक्टर प्रकाश अवस्थी की जुबानी।

रवि अग्रवाल ने बताया था

उस वक्त हमने जो कैमरा यूज किया था वो सोनी एफएक्स1 का एचडी हाई डेफिनेशन कैमरा था। जिसमें मया और टूरा रिक्शावाला भी शूट हुई थी। 10-18-20 उसका रेजुलेशन था। अब जमाना 4 k और 8 k के आगे भी पहुंच चुका है। मुझे उस कैमरे के बारे में रवि अग्रवाल ने बताया था। उसी कैमरे से एक और फिल्म बनी थी लेकिन वो यूएफओ के जरिए प्रॉपर नहीं आई। अब तो वैसी क्वालिटी मोबाइल के का कैमरे से मिलने लगी है।

टेप यूज होता था

इस कैमरे में टेप यूज किया जाता था। नॉर्मल कैमरे के लिए छोटा टेप डेढ़ से दो सौ रुपए में आता था। जबकि हाई डेफिनेशन टेप हजार रूपए के आसपास आता था। बाद में उसकी कीमत 700 तक हो गई। अब तो टेप की भी जरूरत नहीं। चिप में ही काम हो जाता है। एक दौर ऐसा भी आया जब टेप और चिप दोनों लगते थे। बाद में उसे हमने क्रिएटिव विजन वाले को बेचा था।

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