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नागार्जुन के कॉलेज से फिल्म मेकिंग सीख रहीं लीजेंड्स की बेटियां

हैदराबाद में है अन्नपूर्णा कॉलेज ऑफ फिल्म एंड मीडिया

सिनेमा 36. सतीश जैन और मनोज वर्मा फिल्म मेकिंग की पाठशाला हैं। बावजूद इन्होंने अपनी बेटियों को फिल्म मेकिंग सिखाने बाहर भेजा है। इसके पीछे वजह ये है कि वे बदलाव को देखते हुए भविष्य का सिनेमा गढ़ सकें। यह भी माना जा सकता है कि उनके बच्चों का नजरिया पैन इंडिया सिनेमा का हो। प्रॉपर वे में पढ़ाई करते हुए वे वर्ल्ड सिनेमा को समझें।

सतीश जैन की बिटिया रुनझुन और मनोज वर्मा की बिटिया सिद्धि ने की क्लास एक महीना पहले शुरू हो चुकी है। रुनझुन तो पापा को असिस्ट कर चुकी हैं, जबकि सिद्धी की यह शुरुआत है।

सतीश जैन ने कहा, हर विधा में तकनीक का महत्व बढ़ता जा रहा है। इसलिए आधुनिक संसाधनों के साथ कदम मिलाकर चलना होगा। मेरी बेटी फिल्म मेकिंग के साथ एडिटिंग भी सीख रही है। मनोज वर्मा ने बताया, सिद्धी में मैंने फिल्मों के प्रति झुकाव देखा। इसलिए उसकी रुचि पर फोकस करते हुए मैंने, बीए फिल्म मेकिंग में दाखिला कराया है।

रुनझुन और सिद्धी ने कहा, हम पहली बार घर से बाहर इतनी दूर आए हैं, शुरू शुरू में घर की बहुत याद आती थी, लेकिन अब यहां के माहौल में ढल गए हैं। कॉलेज से पहले और बाद में वीडियो कॉलिंग से घर में बात होती रहती है। पढ़ाई में मन लग गया है। यहां कोई न कोई नामी फिल्म मेकर का स्टूडेंट्स से इंट्रक्शन होता रहता है। उनके अनुभव हमारे लिए मोटीवेशन का काम करते हैं

लक्षित हैं पासआउट

लक्षित झांजी ने भी इसी कॉलेज से पढ़ाई की है। उन्होंने बताया, वैसे तो उस कॉलेज में फिल्म मेकिंग की सभी विधाएं सिखाई जाती हैं, जैसे  निर्देशन से लेकर  साउंड, लाइट और एक्टिंग। तीन साल के कोर्स में आपकी रुचि पूछी जाती है। मैंने एक्टिंग और एडिटिंग को प्रायोरिटी दी। यह इंटरनेशनल कॉलेज है जहां हर साल भारत से 25 और विदेश से 15 स्टूडेंट्स का चयन होता है। यहां प्रवेश की प्रक्रिया काफी कठिन होती है।

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