कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पाया सुहाग का रंग
विधायक बनने के बाद दमदार अदायगी के साथ लौटे अनुज शर्मा

रेटिंग 3/5
सिनेमा 36. अनुज शर्मा स्टारर सुहाग एक ट्राइंगल लव स्टोरी है। पूजा ( सृष्टि देवांगन) एग्रीकल्चर की स्कॉलर है जो अजय ( अनुज शर्मा) के गांव पहुंच किसानों को आधुनिक खेती के तरीके बताने आती है। अजय पहली नजर में ही उसे दिल दे बैठता है। जब अजय उसे प्रपोज करता है तो पूजा यह कहकर मना कर देती है कि उसे करियर पर फोकस करना है। अजय का दिल टूट जाता है और बुझे मन से घर लौटता है। घर वाले उसकी शादी के लिए एक लड़की पसंद कर लेते हैं।
अजय पढ़ा लिखा किसान है और पूजा द्वारा लिया गया उसका इंटरव्यू वायरल हो जाता है। इसी वीडियो को देख विधायक की बहन खुशी (अनिकृति चौहान) उसे चाहने लगती है। यही वजह है कि उसका विधायक भाई ( आलोक मिश्र) अजय के घर उसका रिश्ता पक्का कर देता है। न चाहते हुए भी अजय की शादी उससे हो जाती है। बाद में पूजा भी लौट आती है। हालांकि अजय खुशी को पहले ही सब कुछ बता देता है। देखने वाली बात होगी कि अजय की शादी टूटेगी या बचेगी।
अभिनय
अनुज शर्मा की एक्टिंग पर कुछ कहना यानी सूरज को रौशनी दिखाने के समान है। हालांकि उनकी उम्र भी झलकती है लेकिन यही तो खासियत है। यही बात अनिकृति पर लागू होती है। कमाल का अभिनय। सृष्टि भी अभिनय की पाठशाला में अच्छे मार्क्स लाने में सफल रही है। आरजे सिद्धांत ने डेब्यू किया है लेकिन कोई छाप नहीं छोड़ पाए। देवेश तिवारी का रोल महत्वपूर्ण नहीं था, उनको दिखाने मात्र के लिए उन्हें रखा गया है। अन्य कलाकारों का काम ठीक है।
बीजीएम/ गीत संगीत/ संवाद
सूरज महानंद के बीजीएम की तारीफ तो बनती है। जहां जितनी जरूरत वहां उतना वॉल्यूम। गीत संगीत अच्छा है। मन आनंदित हो उठता है। संवाद के लिए पत्रकार देवेश तिवारी की प्रशंसा हर कोई कर रहा है।
निर्देशन/ स्क्रीनप्ले/ सिनेमेटोग्राफी
राहुल थवाईत का निर्देशन औसत से थोड़ा ज्यादा है लेकिन स्क्रीनप्ले में कहीं कहीं खोल दिखाई देता है। यही वजह है कि दर्शक बीच बीच में डिस्कनेक्ट हो जाते हैं। लेकिन स्क्रीनप्ले को अच्छे की श्रेणी में गिना जा सकता है। फिल्म के लोकेशन और सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छे हैं।
कमियां
इसका क्लाइमेक्स निरहुआ हिन्दुस्तानी 3 से प्रेरित है लेकिन उतना असर नहीं छोड़ पाता जितना ओरिजनल में दिखाया गया है। आज का दर्शक काफी चतुर है उसे नादान समझकर कुछ भी दिखाना मेकर्स कि भूल है। कुछ सीन ऐसे ही हैं। यहां लिखने से बेहतर है कि आप फिल्म देखेंगे तो यह बात आपको याद आएगी। फिल्म में बहुत कुछ नहीं है जिसकी उम्मीद आप लगा बैठे हैं।