सिने 36 होली की पिचकारी पार्ट 5
कोई न छूटेगा होली के रंग से, नशा ऐसा कि बढ़ेगा आगे भंग से
मृगेंद्र बिल्कुलवास्तव
कमाई के लिए आया था, लगाया सबने चुना
क्या करता नया था, इसलिए सबका सुना
इस बार पकड़ा हूं नामी डायरेक्टर को
अर्णव झा
ओवर बजट हुआ है पर इस बार बरसेगा धन
इस बार खुद नहीं करूंगा डिस्ट्रीब्यूशन
जोहरी हूं हीरे की परख करता हूं
लेकिन हर बार लेट लतीफी का खामियाजा भुगतता हूं
इस बार सब होगा आर पार
क्योंकि फाइनल में जीत होगी हमार
चरितार्थ सिंह
बचपन से थामा है इन हाथों ने कैमरा
किसी सेट पर होता हूं मालिक मर्जी का
किसी सेट में यूरीन जाने के लिए भी मांगनी पड़ती है अनुमति
कालेख बौधरी
गुरु के नाम पर बनाई थी फिल्म
गुरु तो गुरु रहा, फिल्म मांग पाई पानी
अब गुरु के साथ ही रहेंगे सदा
नहीं करनी कोई आना कानी
धीरज वर्मा
हर काम कर सकता हूं
बस पैसे दो वाजिब
रात रातभर जागकर करता हूं काम
अपना काम तो रहता है चोखा
चाहे फिल्म का काम हो जाए तमाम
बिजी महेश
सिकंदर बन न पाया
हर किसी ने रोका पैसा
क्या बताऊं अपना हाल
अनुभव लेकर घूम रहा कैसा कैसा
पुलेंद्र कटेल
एडिटिंग में हूं मास्टर
लेकिन अलग से स्टूडियो खोल नहीं सकता
नौकरी करता था
करता रहूंगा
अमित ठंडाईवाला
न सिगरेट, न दारू और न लड़की
फिर भी बंदा झेल रहा कड़की
अब एल्बम से होना है पार
अगर ईश्वर करे कोई चमत्कार
जगदीश मांझी
तीन पांच नहीं आता
इसलिए रखता हूं काम से काम
बेटा सेट हो जाए
तो आए दिल को आराम
कुशकेंद्र सिंह
प्योर एक्टर हूं, पीता भी प्योर हूं
कोई मिलना चाहे तो आ जाए रात दस के बाद, सीजी 04 ढाबा के लिए सिक्योर हूं