सिने 36 होली की पिचकारी पार्ट 4
होली पर मची है रेलमपेल, देखो क्या कुछ चल रहा है खेल
खेम पंड्राकर
तिकड़ी टूटी तबसे ये भी हो गए किनारे
सरूपम धर्मा
शौक पूरा हो जाएगा में मोहि डारे 2 से, उसके बाद तो सब्जी भाजी ही सहारा है
झकास अवस्थी
डेढ़ होशियार और हाई फाई बाई में उलझा हूं, एक्टर बहुत सुलझा हूं
रहस्य वर्मा
बारात लेकर निकला था, हो गया हादसा
रिकवरी के लिए दो तीन प्लाट ही काफी है
अलग जाय
जमीन के धंधे में हो रही फुल कमाई, इंडस्ट्री मे बने रहने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर बन गए। फिल्म बना लेते लेकिन सोच रहे 50 लाख डुबाने से अच्छा है शांति से वितरण का काम करो
रोगेश बगरवाल
बड़े प्रोडक्शन वाले लेते नहीं है, छोटे मंझले वाले इनके बिना फिल्म बनाते नहीं है
आकृति बिन्हा
रील बनाती हूं, रील ही बनाती रहूंगी
नाम बदला है, लाइन भी बदल लूंगी
सुदीप शर्मा
अनुपम खेर न बन सका लेकिन उन्हीं को किया अंगीकार, अच्छा हुआ नौकरी थी वरना जीवन था बेकर
कुनिका शर्मा
अच्छा गाती हैं, सुंदर है, व्यवहारिक नारी है
मोहिनी में थमी लेकिन कुछ नए का प्रयास जारी है
दोहन मुंदरानी
काम बिना चैन कहां रे
जहां कोई नहीं मैं वहां रे
सर्वोत्तम किवारी
जो कोई न कर पाए उसे हम करें
जो जैसा करे वो बाबाजी का धरे
वरुण सोनी
पब्लिसिटी के काम में ही हो गए लाल
कुछ बिगाड़ भी नहीं पाया इनका काल
डिस्ट्रीब्यूशन से भरा झोला, कर्ज से मिला छुटकारा
पैसा मिले अच्छा तो मेकर्स का लगा लेते हैं जयकारा
कमलेश आगेस
मोरे है टाइम, मोरेच हे जमाना
तहूं ला कमाना है महू ला कमाना
तनिषा वर्मा
एक मैग्जिन में छाई हूं
फिल्मों से कुछ खास नहीं कमाई हूं
अनिल मसाज
स्टॉक मार्केट में पीट रहे पैसा
वितरण में सरोकार नहीं वैसा
अपनी मर्जी के मालिक हैं
रिलीज डेट को लेकर डरा देते हैं
लेकिन प्रोड्यूसर की रकम नहीं डूबने देते