Cinema 36. मैं छत्तीसगढ़ हूं। मेरे गठन का 24वां साल चल रहा है। इस दौरान मैंने कई उतार चढ़ाव देखे। बहुत सी उपलब्धियां भी मिली। आज मैं अपनी उस उपलब्धि पर बात करूंगा जिस पर मुझे नाज़ है। जी हां आज मैं एंटरटमेंट जोन पर रीजनल फिल्म इंडस्ट्री की बात करूंगा।
बात उन दिनों की है जब मेरा गठन हो रहा था। पूरी जनता मेरे गठन लेकर बहुत खुश थी। तभी मेरे कानों पर एक फिल्मकार के नाम की खनक सुनाई दी। उसका नाम सतीश जैन था। उसने एक फिल्म बनाई थी मोर छैयां भुईयां।
इस फिल्म और मेरे निर्माण से पहले भी दो फिल्में कही देबे संदेश और घर द्वार से रीजनल फिल्म की बुनियाद पड़ चुकी थी। लेकिन इन फ़िल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर कोई जादू नहीं किया था और न ही यहां फिल्म इंडस्ट्री खड़ी हो पाई। हालांकि इन दोनों फिल्मों को मैं नींव का पत्थर मानता हूं।
जब सतीश जैन ने एमसीबी बनाई तो मैं भी इठलाने लगा था क्योंकि मेरे अस्तित्व में आते ही मेरे चमन में छत्तीसगढ़ी फूल खिल गए थे। जिसकी खुशबू राज्य के बाहर भी गई। सतीश जैन ने एक के बाद एक कई फिल्में बनाई और जब भी इंडस्ट्री लड़खड़ाई थामते रहे।
आज सतीश जैन का जन्मदिन है। मैंने भी पांच महीने पहले 1 नवंबर को अपना जन्मदिन मनाया। मैं अपनी पौने तीन करोड़ जनता की तरफ से सतीश जैन को बधाई देता हूं। जितनी उम्र मेरी (23) हुई है उससे ज्यादा तो आपने फिल्म निर्माण में दिया है।
आपने छत्तीसगढ़ को बहुत कुछ दिया है सतीश जी। मुझे उम्मीद है कि मेरी झोली में आप इसी तरह माटी की महक बिखेरते रहेंगे। आप खुश रहें, आबाद रहें यही मेरी शुभकामना है।