बजट में छत्तीसगढ़ी फिलिम इंडस्ट्री बर भुरिभांग घोषणा नी
कलाकर घलो कलेचुप हावय, चिटपोट नई करत हे
Cinema 36. नवा सरकार के पाहिली बजट मा छत्तीसगढ़ी सिनेमा वाला मन ला भुरीभांग नी मिलीस। फेर कोनो ला कोई फरक नई पड़े है। अगर पड़े रतिस ता कुछ तो ओमन प्रतिक्रिया ब्यक्त करे रतिन न? चुनई के घोषणा पत्र मा भाजपा हा फिल्म एंड टेलीविजन बोर्ड अऊ फिल्म पॉलिसी के बात रखे रिहिन। फेर ओकर सुरुआत ये बजट में नी करे है।
जुन्ना सरकार हा तो बड़े बड़े गोठ करे रिहिन। ओमन तो फिलिम सिटी खातिर भुईयां घलो तय कर दे रीहिस। राज पत्र मा फिल्म पॉलिसी प्रकाशित हो चुके है। एमा सितंबर 2021 ले बने फिलिम मन ला सब्सिडी के भी उल्लेख हावय। कोन जनी के झन आवेदन करे हैं ते। कई फिलिम बनईया मन सोचते है के जुन्ना मामला के काए होही।
हमन ये संबंध मा फिल्म विकास निगम के पहिली अध्यक्ष राजेश अवस्थी संग गोठियाय ता ओमन किहिस के मोदीजी के गारंटी हावय जी। घोषणा पत्र के एक एक चीज पूरा होही। पिछला सरकार हा तो फर्जीवाड़ा करीस। अभी के बजट मा जरूरी चीज ला लाने है। अभी तो निगम के गठन होना भी बाकी है। सीजी फिल्म इंडस्ट्री के सुघ्घर रद्दा बर मैं अऊ अनुज भाई मिलके काम करबो।
भूरी भांग क्या होता है?
कई लोगों के मन में सवाल आ सकता है कि सबकुछ तो ठीक है, ये भूरी भांग क्या होता है। वैसे इस शब्द का मतलब नील बटा सन्नाटा होता है। यानी जीरो। छत्तीसगढ़ी भाषा के जानकार संजीव तिवारी बताते हैं कि पुराने जमाने में भांग विलासिता की वस्तु मानी जाती थी। भूरी यानी गांव की लड़की। वैसे भी गांव में इस तरह के नाम आज भी कॉमन हैं। कहने का मतलब यही कि भूरी को भांग कहां से मिलता। तब से भूरि भांग शब्द का चलन है