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प्रभाव नहीं छोड़ पाई सनकी आशिक की कहानी है “चाहत”

अच्छी कहानी लेकिन कमजोर स्क्रीन प्ले

Cinema 36. राजा खान निर्देशित “चाहत” एक ऐसी प्रेम कहानी है जिसमें लीड हीरो सनकी रहता है। सिने 36 में इस तरह की पहली कहानी है। राज ( आकाश) और सुमन ( यास्मीन जायसवाल) एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। राज सुमन को चाहने लगता है लेकिन सुमन उसे भाव नहीं देती। नोक झोंक के बाद वह भी राज को प्यार करने लगती है। इसी बीच कोई हत्यारा कॉलेज के हर उस लड़के को मौत के घाट उतारने लगता है जो सुमन से बातचीत करता है या करीब आने की कोशिश करता है। वैसे हत्यारा कौन है इसका अंदाजा दर्शकों को लगने लगता है और यही डायरेक्शन और स्क्रीन प्ले की कमजोरी है।

गीत संगीत/ बी जी एम/ संवाद

गाने ठीक ठाक हैं। बी जी एम में कमजोरी है क्योंकि इसी के चलते फिल्म के सिक्रेट खुलने लगते हैं। संवाद दमदार नहीं हैं।

डायरेक्शन/ डी ओ पी/ पंच/ एक्टिंग/ स्टोरी लाइन

राजा खान का निर्देशन उन्हीं की तरह सहज लगता है। कसावट जैसी कोई बात दिखाई नहीं देती, हालांकि उनके प्रयास को सिरे से नकारा नहीं जा सकता। एक ही ढर्रे से हटकर कुछ अलग किया है। लेकिन दर्शक इस बदलाव को पसंद करें तब कोई बात हो। सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। पंच कोई खास नहीं हैं। तालियों के लिए पंचेस बहुत जरूरी होते हैं। एक्टिंग की बात करें तो यास्मीन ने डेब्यू किया है। इस हिसाब से अभिनय एवरेज है। आकाश को कुछ अलग करने का मौका मिला और उसमें वे खरे भी उतर गए। स्टोरी लाइन ठीक है पर इसे और बेहतर करने की जरूरत थी।

कमियां

फिल्म की शुरुआत से ही ध्यान कमियों पर जाता है। हालांकि फिल्म में भी कुछ सीन में भ्रमित किया गया है। टाइटल में कई नाम गलत लिखे गए हैं। कॉमेडी सीन में जरा भी हंसी नहीं आती है। हर बार ऐसा लग रहा था कि फिल्म कलिंगा यूनिवर्सिटी को प्रमोट करने बनाई गई है। एक सीन में पुलिसकर्मी यूनिवर्सिटी के प्रिंसिपल से मिलता है जबकि किसी भी यूनिवर्सिटी में प्रिंसिपल नहीं होते। कुलपति और रजिस्ट्रार होते हैं।

क्या अच्छा

अच्छे के नाम से क्लाइमेक्स में दिया गया मेसेज है। जिसमें सिरफिरे आशिकों को आड़े हाथ लिया गया है। कई लड़के किसी एक लड़की को लेकर इतने पजिसिव हो जाते हैं कि लड़की का जीना हराम हो जाता है।

रेटिंग 2.5/5

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