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भटकाव का रास्ता है आखिरी फैसला

ऐसे सरप्राइज कि कहीं बाल न नोंच लें आप

सिनेमा 36. इस हफ्ते आई आदिश कश्यप निर्देशित आखिरी फैसला मानव तस्करी की कहानी पर आधारित है। गांव की लड़कियां गायब होती जाती हैं लेकिन हीरो को मानव तस्करी का तब अहसास होता है जब उसकी बहन लापता हो जाती है। उससे पहले जितनी भी लड़कियां गायब होती हैं, मानव तस्करी शब्द सुनने में ही नहीं आता। एक समय ऐसा भी आता है कि हीरोइन ही गायब हो जाती है। गायब मतलब फिल्म में लम्बे समय तक उसका अता पता नहीं चलता। भला हो कि आखिर में मुसन्ना का मतलब पता चल जाता है। दरअसल ये इतना बड़ा सवाल था कि फिल्म का टाइटल भी यही रख दिया जाता तो ज्यादा अच्छा होता है। हालांकि हीरो अपना पहला फैसला फिल्म शुरू होने के ठीक आधे घंटे बाद सुनाता है कि भैंस का दूध उसकी बहन ही दुहेगी। भाई बहनों में दूध दुहने की लड़ाई पहली बार किसी फिल्म में देखने को मिली है।

एक गाना आपको सोचने पर मजबूर कर देगा कि मैं फिल्म को देखने गलती से आ गया क्या। दो पुलिस वाले अचानक से सपना देखने लगते हैं और दो उनको दो हीरोइन भी मिल जाती है। गीत संगीत आखिरी फैसला पर पहले ही फैसला सुना देते हैं।

सरपंच का किरदार निभाने वाले ने भी अपना फैसला सुना दिया। उसके भीतर का बिहारी जाग गया। ऐसा सस्पेंस देखकर आप उल्टी न कर बैठें। इसलिए
एंटीहिस्टामिन खाकर फिल्म देखने जाना मुनासिब रहेगा।

अभिनय की बात करें तो दीक्षा और सोनाली के अलावा रवि साहू और राखी सिंह भी पास हो गए हैं। प्रदीप शर्मा की एक्टिंग बढ़िया है।अजय पटेल क्लाइमेक्स में क्या कहने के मकसद से आए? या तो उन्होंने एडवांस लिया होगा या मेकर्स इस फिल्म के पार्ट 2 की उम्मीद लगाए बैठे होंगे। निर्देशन एवरेज के करीब मान सकते हैं। उत्तम तिवारी ने फिल्म छोड़ी तो कम बजट मे डायरेक्टर खोजा गया। आदिश कश्यप का नाम आया। जितने संसाधन और नियम शर्तें थीं, उसके हिसाब से उसने भी अपना बेस्ट देने की कोशिश की, लेकिन असफलता तो असफलता ही होती है।

रेटिंग 1.5/5

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