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प्रेम के महीन धागों से बुनी “बीए फाइनल ईयर”

दिल जीत लेंगे अच्छी स्टोरी लाइन और प्यारे गाने

Cinema 36.इस बार प्रणव झा में छत्तीसगढ़ी में साउथ का तड़का लगाया है। जिसका तालमेल देखने मे बहुत शानदार लगता है। बीए फाइनल ईयर की कहानी बीए फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर से कोई राफ्ता नहीं रखती। ये सिर्फ फ्रेंचाइजी मानी जा सकती है।

कहानी: बीए फाइनल ईयर एक साउथ इंडियन लड़की और छत्तीसगढ़िया लड़के की कोमल प्रेम कहानी है। श्रीदेवी ( दीक्षा जायसवाल) के पिता का ट्रांसफर साउथ से छत्तीसगढ़ होता है। यहां उसकी मुलाकात डीजल ( मन कुरैशी) से होती है।डीजल कचरा उठाने का काम करता है और पढ़ाई भी। श्रीदेवी उसकी क्लासमेट है। श्रीदेवी को छत्तीसगढ़ी नहीं आती लेकिन डीजल से उसकी दोस्ती हो जाती है। यही दोस्ती आगे चलकर प्यार में तब्दील हो जाती है। दोनों के बीच जमीन आसमान का अंतर है लेकिन जब कुदरत किसी को मिलाना चाहे तो कितनी भी विपरित धारा हो, मिलन होकर रहता है। लेकिन कैसे यह देखने वाली बात है।

एक्टिंग/ डीओपी/ बीजीएम

दीक्षा जायसवाल की पहली फिल्म है। उसकी एक्टिंग की जितनी तारीफ करें कम है। मासूम अदा और तेलुगू टच बड़ा कमाल का है। सिग्मा उपाध्याय भी पहली बार बड़ी स्क्रीन पर दिखाई दी हैं। सौतेली मां और सेकंड वाइफ का रोल बढ़िया है। पिता का रोल करने वाले आर्टिस्ट ने भी कमाल किया है। अंजलि चौहान का अभिनय हर बार की तरह आउट स्टैंडिंग है। दादू और उसकी दो बीवियां भी जमी हैं। मन कुरैशी का न्यू लुक और काम दोनों जोरदार है। बीजीएम अच्छा है।

गीत संगीत/ डायलॉग/

तीन गाने बड़े गाने दिलकश हैं। बार बार सुनने की इच्छा होती है। सिटी बजाए बिना नहीं रहेंगे आप। संवाद में भी कोई कोताही नहीं है। अच्छे लगते हैं।

स्क्रीनप्ले/ डायरेक्शन

स्क्रीन प्ले में बांधने की पूरी कोशिश की गई है। फिल्म को आप देखते रहते हैं। निर्देशन में प्रणव का रंग साफ दिखाई देता है। अच्छे से स्टोरी लेकर जाते है। कास्टिंग करने में भी प्रणव सफल रहे।

 

कमियां: फिल्म में भावुक सीन कम हैं। इमोशन के बिना लंबी पारी मुश्किल होती है, हालांकि इमोशन का टाइम क्लाइमेक्स के आसपास होता है। प्रणव ने पूरी कोशिश भी की है लेकिन इमोशन की चाशनी थोड़ी और मीठी की जा सकती थी। फिल्म एक गति से आगे बढ़ रही होती है। क्यूरिसिटी वाले पंच की गुंजाइश बनाई जा सकती थी। सेड सॉन्ग की जरूरत उतनी नहीं थी। सारे अच्छे गाने फर्स्ट हाफ में ही खत्म हो गए।

क्यों देखें

एक नया कॉन्सेप्ट है। फिल्म की कहानी गुदगुदाएगी। मन नए रूप में हैं। दीक्षा की मेहनत पूरी तरह रंग लाई है। स्टोरी में नयापन है। टोटल फैमिली ड्रामा है।

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