हास्य की वियाग्रा है अमलेश की फिल्म हंडा
स्क्रीनप्ले में झोल, क्लाइमेक्स दमदार नहीं फिर भी असरदार
रेटिंग 3.5/5
सिनेमा36. अमलेश नागेश स्टारर हंडा रिलीज से पहले ही काफी गर्म थी। दो गाने धूम मचा रहे थे। एडवांस बुकिंग ऐतिहासिक टाइप की होने लगी थी। और फिर वही हुआ जिसका अंदाजा था। पहले दिन ही दर्शक टूट पड़े। श्याम सिनेमा में तो मिडनाइट शो भी सफल रहा।
आइए फटाफट कहानी पर नजर डालते हैं। जैसा कि नाम से साफ है कि मामला किसी खजाने से जुड़ा है। राजा महाराजाओं के जमाने का खजाना कहीं छिपा दिया गया था। एक बुजुर्ग के पास उस खजाने तक पहुंचने का नक्शा था। पूरी फिल्म उसी नक्शे के ईद गिर्द घूमती है। खजाने तक पहुंचाने में भैरा कका (अमलेश नागेश) की अहम भूमिका होती है। नक्शे के तैयार होने से लेकर खजाना मिलने तक के सफर को हास्य के रंग में रंगा गया है। दर्शक भी इस रंग में रंग से गए हैं।
कहानी/स्क्रीन प्ले/ निर्देशन
कहानी अच्छी है। लेकिन स्क्रीन प्ले में थोड़ा सा झोल जरूर नजर आता है। यही वजह है कि फिल्म थोड़ी लम्बी लगती है। निर्देशन के मामले में अमलेश उत्तीर्ण हो गए।
अभिनय/ गीत संगीत/ बीजीएम
अमलेश की एक्टिंग पर तो सभी फिदा हुए। हालांकि जितनी उम्मीद थी वे उससे कम ही नजर आए। गीत संगीत बहुत अच्छा बन पड़ा। ए गोरी और लुका लुहू ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। बैकग्राउंड म्यूजिक भी कमाल का है।
सिनेमेटोग्राफी/ लोकेशन
डीओपी रजत सिंह राजपूत की बाउंडिंग अमलेश संग अच्छी है। यही वजह है कि काम अच्छा रहा। लोकेशन बेहतरीन हैं। रियल लोकेशन के चलते आप फिल्म को थीम के हिसाब से फील करते हैं।
कमियां
कॉमेडी के चक्कर में कुछ हार्ड सीन को हल्के में रख दिया गया है। बेटे के सामने बाप को गोली मार दी जाती है लेकिन बेटा खजाने की चाह में है। हंडा यानी खजाने की भव्यता वैसी नहीं होती जैसा कि फिल्म को रचा गया। क्लाइमेक्स कमजोर है। कुछ कलाकारों का सही इस्तेमाल नहीं हो पाया।
क्यों देखें
छत्तीसगढ़ के पहले रियल सुपर स्टार अमलेश नागेश की फिल्म है। अगर आप उनके फैन रहे हैं तो बिना देर किए देखने निकल लें।